Friday, November 16, 2018

نظام الخمير الحمر: محكمة تتوصل للمرة الاولى بأن النظام مارس الابادة الجماعية في كمبوديا

توصلت محكمة تدعمها الأمم المتحدة للمرة الأولى إلى أن نظام الخمير الحمر في كمبوديا قد مارس الإبادة الجماعية.
وقد صدر هذا الحكمضد اثنين من قادة الخمير الحمر لا يزالان(على قيد الحياة يبلغان من العمر اثنين وتسعين عاما وسبعة وثمانين عاما. وقد حوكما لاتهامهما بممارسة الإبادة الجماعية ضد اقلية  وذوي الأصول الفيتنامية.
ويعتقد أن مليونيانسان قد قتلوا على يد حركة الخمير الحمر في النصف الثاني من عقد السبعينات في القرن الماضي
بيعت لوحة للفنان ديفيد هوكني في مزاد علني في نيويورك بأكثر من تسعين مليون دولار وهي أغلى من أي عمل لفنان مازال على قيد الحياة.
وقد تجاوزت قيمتها قيمة عمل فني آخر حصل على رقم قياسي تجاوز ثلاثين مليون دولا

قتل جمال خاشقجي: الخارجية الأمريكية تنفي "استرضاء" أردوغان بتسليم فتح الله غولن إلى تركيا

نفت الخارجية الأمريكية تقارير صحفية بأن إدارة ترامب تدرس سبل تسليم الداعية التركي، فتح الله غولن، إلى تركيا لـ "استرضاء" الرئيس رجب طيب أردوغان على خلفية قضية مقتلالصحفي السعودي #جمالخاشقجي بقنصلية بلاده بإسطنبول.
وقالت المتحدثة باسم وزارة الخارجية الأمريكية هيذر ناورت إن القضيتين منفصلتين.
وقالت قناة "إن بي سي" الأمريكية، مستندة إلى مصادر مطلعة، أن إدارة ترامب تبحثوسائل قانونية لتسلمي غولن، المقيم في الولايات المتحدة منذ عام 1990.
وتعتبر أنقرةغولن زعيما لمنظمة إرهابية، وأنه العقل المدبر لمحاولة الانقلاب الفاشلة عام 2016. شن المغرب القطار الأسرع في أفريقيا، والذي يختصر إلى النصف مدة الرحلة بين مدينتي الدار البيضاء وطنجة.
واستقل الملك محمد السادس والرئيس الفرنسي إيمانويل ماكرون القطار، الذي أطلق عليه اسم "البُراق"، في الرحلة الافتتاحية لخط السكة الحديد من طنجة إلى العاصمة الرباط..
واستغرق العمل على خط السكة الحديد فائق السرعة سبع سنوات.
وتم اختبار القطار بسرعة 357 كلم في الساعة، لكن من المخطط له أن يسير بسرعة 320 كلم في الساعة.
ويختصر القطار مدة الرحلة بين الدار البيضاء وطنجة إلى أكثر من النصف، بحيث يقطع المسافة الفاصلة بينهما، وهي 200 كيلومتر، خلال ساعتين تقريبا.
وتزيد سرعة القطار مرتين تقريباً على قطار "غوترين" السريع في جنوب أفريقيا، والذي يربط مطار جوهانسبرغ الدولي بمنطقة ساندتون، وهي الحي المالي للمدينة.
وبلغت الكلفة الإجمالية لخط السكة الحديد هذا 22.9 مليار درهم (2.4 مليار دولار)، وفقاً لوكالة الأنباء المغربية الرسمية "وكالة المغرب العربي للأنباء".
واشترى المغرب 12 قطاراً فائق السرعة بطابقين من مجموعة "ألستوم" الفرنسية، سيتم تشغيلها من قبل شركة السكك الحديد  المملوكة للدولة، والتي تتوقع أن يستقل القطار ستة ملايين مسافر سنوياً.
ويقول مسؤولون إن المشروع سيعزز النمو في طنجة، كما سيساعد على جذب المزيد من الاستثمارات إلى شمال المغرب حيث يوجد أحد أكبر موانئ أفريقيا.
لكن منتقدي المشروع اعتبروا أنه يزيد من التفاوت بين المناطق مع افتقار مناطق شاسعة في الجنوب ومدن رئيسية مثل أغادير لخدمة القطارات في شكلها الأولي الأساسي، بحسب وكالة رويترز للأنب

Friday, October 5, 2018

गीर में ये कौन है जो ले रहा जंगल के राजा की जान

पिछले तीन हफ़्तों में गिर वन अभ्यारण में कम से कम 23 शेरों की मौत हुई है. एशियाई शेरों की प्रजाति सिर्फ़ इन्हीं जंगलों में पाई जाती है.
वन अधिकारियों ने मौत की वजह कैनाइन डिस्टेंपर वायरस और शेरों की आपसी लड़ाई को बताया.
गुजरात सरकार के मुताबिक चार शेरों की मौत सीडीवी यानी कैनाइन डिस्टेंपर वायरस की वजह से हुई है. जबकि तीन और शेर इस वायरस से पीड़ित हैं, जिन्हें एक रेस्क्यू सेंटर में अलग रखा गया है.
एक जानलेवा वायरस जिसने पूर्वी अफ्रीका के 30 फ़ीसदी शेरों की जान ले ली थी, क्या भारत के जंगल के राजा के लिए भी ख़तरा बन गया है?
राज्य वन और पर्यावरण मंत्री गणपत वसावा ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि पूणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी ने मारे गए 11 में से चार शेरों के सैंपल में सीडीवी वायरस और बाकी सात के सैंपल में प्रोटोज़ोआ संक्रमण पाया है.
सीडीवी वायरस 20वीं शताबदी में उस वक्त चर्चा में आया था जब इसकी वजह से थाइलासाइन (तस्मानियाई बाघों) की मौत हुई थी.
गिर में शेरों की मौत ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है. अधिकारी सक्रिय हो गए हैं.
वाइल्डलाइफ सर्कल, जूनागढ़ के प्रमुख वन्य संरक्षक डीटी वसावाड़ा ने बीबीसी से कहा कि शेरों के लिए तुरंत विदेश से वेक्सिन मंगाई गई है.
उन्होंने कहा, "एहतियात के तौर पर हमने अमरीका से पहले ही दवाइयां और वेक्सिन मंगा ली है."
हाल ही में हुई शेरों की सभी मौतें गिर जंगल की डलखानिया रेंज के सरसिया इलाके में हुई हैं.
वन अधिकारियों ने इस क्षेत्र के सभी 23 और आस-पास के इलाके से 37 शेरों को किसी और जगह शिफ़्ट कर दिया है. अधिकारियों का दावा है कि ये सभी शेर ठीक हैं और इन्हें विशेष देखरेख में रखा गया है.
सरकार ने कम से कम 140 टीमें बना दी हैं, जो गिर के दूसरे इलाकों और ग्रेटर गिर में मौज़ूद शेरों पर नज़र रखे हुए हैं.
वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट और बायोलॉजिस्ट रंजन जोशी कहते हैं कि कैनाइन डिस्टेंपर वायरस बेहद ख़तरनाक होता है और ये बहुत तेज़ी से फ़ैलता है.
जोशी बताते हैं कि इस संक्रामक रोग की वजह से 1994 में तनज़ानिया के सेरेनगेटी रेंज में 10 से 15 दिनों के भीतर ही एक हज़ार शेरों की मौत हो गई थी. वो कहते हैं कि अगर ये सीडीवी वायरस है तो प्रशासन को सतर्क हो जाना चाहिए.
जोशी मानते हैं कि एशियाई शेरों को भारत के किसी दूसरे इलाके में शिफ़्ट कर देना चाहिए, क्योंकि इस संक्रामक रोग की वजह से पूरी प्रजाति के ख़त्म होने का डर है.
बीबीसी से बात करते हुए वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट भरत जेठवा ने कहा कि राज्य के वन विभाग को शेरों के इलाके में मौजूद कुत्तों का वेक्सिनेशन करना चाहिए.
वो कहते हैं कि ये वेक्सिनेशन जल्द से जल्द किया जाना चाहिए. सीडीवी वायरस से बचने के लिए शेरों का वेक्सिनेशन भी किया जाना चाहिए.
हालांकि जेठवा वन विभाग की ओर से अबतक उठाए गए कदमों की सराहना करते हैं. वो कहते हैं कि शेरों को संक्रमित इलाकों से दूर ले जाना और वक्त रहते आस-पास के इलाकों से भी शेरों को निकाल लेना सही कदम है.
डॉक्टर भरत जेठवा एक वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट और वन्यजीव विशेषज्ञ हैं. उन्होंने बीबीसी से कहा:
"कैनाइन डिस्टेंपर वायरस एक जानलेवा वायरस है. ये अक्सर कुत्ते और बिल्लियों में पाया जाता है. जो शेर इन कुत्ते बिल्लियों के संपर्क में आ जाते हैं, वो आसानी से इस वायरस की चपेट में आ जाते हैं. ये वायरस अक्सर संक्रमित जानवर का जूठा खाना खाने से फ़ैलता है. जिस इलाके में इस वायरस से संक्रमित कुत्ते-बिल्लियों हैं, वहां मौज़ूद शेरों को सीडीवी का ख़तरा बढ़ जाता है. ये एक जानलेवा वायरस है, लेकिन इससे बचने के लिए वेक्सिनेशन भी होती है. अगर उस इलाके के कुत्ते का वेक्सिनेशन कर दिया जाए तो वहां के शेरों को वायरस से बचाया जा सकता है."
स्थानीय कार्यकर्ता रंजन जोशी कहते हैं कि जंगल के बाहर आने वाले शेरों पर वो नज़र रखते हैं और उन्होंने कई बार देखा है कि शेर के शिकार को कुत्ते-बिल्लियां भी खा रहे होते हैं. ये वायरस तब फ़ैलता है जब शेर दोबारा आकर उस जूठे शिकार को खा लेता है.

Tuesday, September 18, 2018

वो 5 बातें जो जैक मा को जैक मा बनाती हैं

-कॉमर्स की दुनिया के जानेमाने नाम अलीबाबा के सह-संस्थापक और चीन के विख्यात क़ारोबारी जैक मा कंपनी बोर्ड के अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ रहे हैं.
अलीबाबा का कहना है कि जैक मा अगले वर्ष 10 सितंबर को अपने 55वें जन्मदिन पर पद छोड़ेंगे और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेनियल झेंग उनकी जगह लेंगे.
आइए आपको बताते हैं जैक मा के बारे में वो 5 बातें जिन्हें शायद आप नहीं जानते होंगे.
1. अंग्रेज़ी शिक्षक
चीन में एक ग़रीब परिवार में जन्में जैक मा ने अंग्रेज़ी के शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी.
इससे पहले उन्हें 30 नौकरियों के लिए ख़ारिज किया जा चुका था जिनमें से एक नौकरी केएफसी की भी थी.
कंप्यूटिंग की कोई पृष्ठभूमि नहीं होने के बावजूद जैक मा ने दो दशक पहले अपने अपार्टमेंट में ही अलीबाबा की नींव रखी.
इसके लिए जैक मा ने अपने कुछ दोस्तों को अपने ऑनलाइन मार्केटप्लेस में निवेश करने के लिए राज़ी किया.
2. धन-दौलत का अंबार
फॉर्ब्स की 2017 की सूची के मुताबिक, जैक मा चीन के तीसरे सबसे धनी व्यक्ति हैं. फॉर्ब्स ने उनकी दौलत 36.6 अरब डॉलर बताई थी.
420 अरब डॉलर की कंपनी अलीबाबा में जैक मा की लगभग नौ प्रतिशत हिस्सेदारी है.
साल 2014 में अलीबाबा ने दुनिया की सबसे बड़ी सार्वजनिक हिस्सेदारी के ज़रिए 25 अरब डॉलर जुटाए थे.
ब्लैक फ्राइडे और साइबर मंडे जैसे शॉपिंग इवेंट के ज़रिए जैक मा ने अमरीका में भी अपनी धाक जमाई.ई-कॉमर्स की दुनिया के जानेमाने नाम अलीबाबा के सह-संस्थापक और चीन के विख्यात क़ारोबारी जैक मा कंपनी बोर्ड के अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ रहे हैं.क मा ने दस साल पहले अपने वारिस के बारे में सोचना शुरु किया था. साल 2013 में उन्होंने बोर्ड अध्यक्ष बनने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी की कुर्सी छोड़ी.
उन्होंने इसके बाद जैक मा फाउंडेशन के ज़रिए चीन के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए काम शुरू किया.
अलीबाबा के संस्थापक साझेदार की भूमिका में रहते हुए जैक मा अब शिक्षा की ओर लौटना चाहते हैं.
इस सिलसिले में उन्होंने ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि कई चीज़ें हैं, जिन्हें वो बिल गेट्स से सीख सकते हैं.
पिछले साल जनवरी में जैक मा ने कहा था कि न्यूयॉर्क में निर्वाचित राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के साथ उनकी मुलाक़ात बहुत अच्छी रही थी.
मुलाक़ात के बाद जैक मा ने कहा था कि ट्रंप और वो, दोनों सहमत हुए कि अमरीका-चीन संबंध मज़बूत, अधिक दोस्ताना और बेहतर होने चाहिए.
तब ट्रंप ने जैक मा की ये कहते हुए तारीफ़ की थी कि वो एक महान उद्यमी हैं जो चीन और अमरीका दोनों से प्यार करते हैं.
लेकिन जैक मा ऐसे समय कुर्सी छोड़ रहे हैं जब चीन के निर्माता और क़ारोबार, अमरीका के साथ ट्रेड वॉर की वजह से कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.
जैक मा चर्चा में लगातार बने रहते हैं.
साल 2017 में जैक मा ने अलीबाबा की वर्षगांठ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में दिवंगत माइकल जैक्शन की तरह परिधान पहना था.
पिछले साल उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम भी रखा. जैक मा एक शॉर्ट फिल्म में मार्शल आर्ट्स मास्टर जेट ली के साथ नज़र आए थे.
जैक मा मार्शल आर्ट्स के फैन ही नहीं हैं बल्कि 30 साल से अधिक समय से ताई ची का अभ्यास भी कर रहे हैं.

Thursday, September 6, 2018

जबलपुर: एकड़ जमीन, दो किलो सोने सहित 70 करोड़ का आसामी निकला रिटायर्ड ईई

जबलपुर.  आर्थिक अपराध एवं अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) की 20 लोगों की भारी-भरकम टीम ने बुधवार को जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त कार्यपालन यंत्री (ईई) कोदू प्रसाद तिवारी के जबलपुर, सतना, बाराकला और राजेंद्र नगर स्थित ठिकानों पर सुबह पांच बजे छापे मारकर 70 करोड़ से अधिक संपत्ति का पता लगाया है।
ईओडब्ल्यू के उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) राजवर्धन माहेश्वरी ने बताया कि तिवारी ने पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों की संपत्ति एकत्र की। इस बात की शिकायत मिलने पर ईओडब्ल्यू द्वारा जांच की गई। डीएसपी ने बताया कि तिवारी के एपीआर कटंगा काॅलोनी स्थित आवास को अभी सील कर दिया गया है, वहां पर गुरुवार सुबह से कार्रवाई शुरू की जाएगी। यहां से भी काफी कुछ मिलने की उम्मीद की जा रही है।
संपत्ति... पत्नी, बेटे और बहू के नाम : पूरी संपत्ति अधिकारी सहित उसकी पत्नी गिरिजा तिवारी, बेटे राजेश तिवारी और बहू प्रीति तिवारी के नाम पर है। इसके चलते ईओडब्ल्यू ने चारों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर लिया है।
आय केवल 52 लाख : कोदू प्रसाद की नौकरी व अन्य आय के स्रोतों से आय कुल 52 लाख रुपए आंकी गई है। वर्ष 2005 से 2011 के बीच दो करोड़ रुपए 25 लाख रुपए की आय का पता लगा है।
1998 में भी मारा था छापा : राज्य आर्थिक ब्यूरो ने इससे पहले 1998 में भी कोदू प्रसाद के यहां आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में छापा मारा था और प्रकरण दर्ज किया गया था। उस मामले में बाद में आय से अधिक सम्पत्ति से सम्बंधित कागजात नहीं मिल पाने के कारण खात्मा लगा दिया गया था।
और भी खुलासे होंगे : सेवानिवृत्त ईई कोदूलाल के यहां मारे गए छापे में अब तक बाजार मूल्य के हिसाब से करीब 55 करोड़ की सम्पत्ति का खुलासा हुआ है। अभी जांच जारी है और लॉकर भी खोले जाने हैं। -समर वर्मा, एसपी ईओडब्ल्यू
करोड़ों की जमीन का मालिक : जबलपुर के घर से  एकड़ कृषि भूमि, 20 बैंक खाते, पेट्रोल टैंकर, सफारी, क्रेटा वैगनआर, सेंट्रो कार, ट्रैक्टर और बाराकला में एक फ्लैट।
- सतना में 14 प्लाॅट, घर और पेट्रोल पम्प से 20 लाख रुपए नकद, एक किलो की सोने की सिल्ली सहित दो किलो सोने के जेवर, तीन किलो चांदी के जेवर, आलीशान मकान, फ्लैट, 20 बैंक खाते और एक दर्जन से ज्यादा लॉकर मिले हैं।रुअनंतपुरम.  केरल में नौ दिन से भारी बारिश और बाढ़ के चलते 324 लोगों की मौत हुई। भूस्खलन और बाढ़ में गुरुवार को 106 जानें गईं। सेना के साथ एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। करीब 2 लाख 23 हजार लोगों को 1500 राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। शुक्रवार को नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पिनरई विजयन से फोन पर बात की। प्रधानमंत्री देर रात केरल पहुंचे। सुबह साढ़े सात बजे वे हवाई सर्वे के लिए कोच्चि रवाना हुए।

मुख्यमंत्री विजयन ने ट्विटर के जरिए मुख्यमंत्री राहत कोष का बैंक खाता नंबर शेयर कर लोगों से मदद की अपील की। पंजाब और दिल्ली सरकार ने 10-10 करोड़ रुपए की सहायता देने का ऐलान किया। भीषण आपदा के बीच अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी आ गई। यातायात ठप होने से ज्यादातर पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं। कई इलाकों में पेयजल संकट गहरा गया है। रेलवे ने राज्य में पीने के पानी से भरे टैंकर रवाना किए। उधर, कर्नाटक-केरल के बीच चलने वाली 17 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया।

सोशल मीडिया के जरिए मदद की अपील : शुक्रवार को नौसेना के हेलिकॉप्टर ने एक गर्भवती को एयरलिफ्ट किया। सेना के अस्पताल में महिला की डिलिवरी कराई गई। वरुण धवन, अनुष्का शर्मा और अभिषेक बच्चन समेत तमाम बॉलीवुड एक्टरों ने हेल्पलाइन नंबर शेयर किए। साथ ही लोगों से मदद के लिए आगे आने को कहा है। विदेशों में रहने वालों को बाढ़ में फंसे परिजनों की चिंता सता रही है। वे टीवी चैनल और सोशल मीडिया के जरिए अपनों की मदद की गुहार लगा रहे हैं।

केरल में तीन दिन भारी बारिश का अलर्ट : मौसम विभाग ने रविवार तक केरल में भारी बारिश की चेतावनी दी है। राज्य के 14 में से 13 जिलों में रेड अलर्ट घोषित किया गया है। कासरगोड़ा, इडुक्की, अलाप्पुझा, त्रिशूर, एर्नाकुलम जिले में हालात सबसे बदतर हैं। पेरियार नदी में बाढ़ से कोच्चि एयरपोर्ट समेत शहर के ज्यादातर इलाके डूब गए। ये एयरपोर्ट 26 अगस्त तक बंद रहेगा। बारिश की वजह से इडुक्की, मल्लाप्पुरम और कन्नूर जिले में कई जगहों पर भूस्खलन हुआ।

1924 के बाद केरल में सबसे बड़ी आपदा : गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी पिछले दिनों केरल के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार इस मुश्किल घड़ी में केरल के लोगों की पूरी मदद करेगी। केंद्र की ओर से उन्होंने 100 करोड़ की मदद का ऐलान भी किया। हालांकि, मुख्यमंत्री विजयन ने सरकार से 8,316 करोड़ के राहत पैकेज की मांग की है।

Wednesday, August 29, 2018

中国经济发展与减排可共赢

份研究认为,中国积极减排,从而改善能源结构、确保高生产率,中国经济将从中受益。

11月14日发布的这份《中国与新气候经济》报告,属于全球经济和气候委员会的新气候经济项目国别研究成果之一。

《报告》的作者之一、清华大学能源环境经济研究所研究员滕飞说,通过适当的政策设计,2030年达到温室气体排放峰值这一目标对中国经济的负面冲击,可以控制在GDP 的1%之内。如果考虑到其带来的降低空气污染的环境和健康协同效益,相当一部分的经济成本还可以被抵消。

《报告》预测:中国经济增速在2030年将回落至5%。“中国走低碳发展道路是不可避免的。中国必须转型,否则我们无法达到社会经济发展等其他远景。”中国外交部气候变化谈判特别代表高风谈到。

《报告》分析了 增速为7%和4%的情景下所带来的化石能源消费与碳排放结果,结果显示:较快的经济增长,使得碳排放绝对量的减排任务变得更加艰难;但如果中国还可以保持7%的GDP增长率,并从中拿出1%GDP用于节能改造、发展新能源技术等,中国对环境质量的改善将比低速增长率情景下容易得多。

在现有节能减排力度下,由于中国经济更易受到能源价格变动的冲击,受影响的产业部门占GDP的约20%,则接近50%的中国城市到2030年仍存在空气质量不达标的风险,尤其是长三角和京津冀地区的主要城市。能源和经济的结构性问题是不达标的主要原因。

同时,即使中国保持目前的节能政策力度,到2030 年石油的对外依存度将达到75%,天然气对外依存度将超过40%,煤炭也将大幅超出安全高效的科学产能,能源供应和能源安全方面存在巨大压力。

也就是说:如果不采取更积极的减排措施,中国可能付出经济和环境的双重代价。

国家气候变化专家委员会副主任、清华大学低碳经济研究院院长何建坤说道:“按照目前节能减排的政策和力度,中国到2030是不可能实现峰值的,很可能会推后。但现在有目标,有利于促进经济转型,建立起发展新能源的倒逼机制,并采取强有力的措施去实现。”

因此《报告》测算出在加速减排的情景下,中国的能源二氧化碳排放将在2030年左右停止增长并尽快开始下降,2030年的单位 二氧化碳排放强度会比2010年降低约58%。在这一目标下结合严格的末端处理措施和结构调整政策,可以在2030年实现中国主要城市空气质量的全面达标。

未来由于投资回报率的降低,投资拉动的高经济增长趋势是不可持续的,而资源约束对经济增长的负面影响正逐步显现。如果中国不能通过技术进步及生产率的提高部分抵消资源约束的负面作用,则中国有可能陷入低速增长的“中等收入陷阱”。

反之,在维持较高生产率的情形下,中国能保持更好的增长速度,2010-2020年达到7.9%,2020-2030年达到6%, - 达到4.6%。到2030年中国的经济规模将超过美国,并成为世界第一大经济体。

就在上一周,习近平和奥巴马发表了中美气候变化联合声明。《报告》的研究内容将有助于解读中国承诺目标的可行性。基于研究,《报告》建议在产能过剩的高耗能行业和经济相对发达的东部地区,首先引入总量减排目标,并逐步扩展成覆盖所有行业和所有地区的总量减排目标。

首先应对煤炭消费总量进行控制,使煤炭消费总量在2020 年后停止增长,并尽快实现绝对下降。新能源和可再生能源技术将成为未来经济新的增长点。

滕飞谈到,在进行温室气体排放和能源消费总量控制的同时,应继续推动化石能源的价格改革。通过价格改革可以使化石燃料价格体现隐藏的外部环境成本,逐步建立起有利于清洁能源和可再生能源发展的市场环境。通过竞争性的市场鼓励企业投资于低碳技术,并激发低碳技术领域的创新与发展。

“关于2030年达到峰值,其前体条件是年GDP碳强度的下降率要大于GDP的增长率, 年左右GDP回落到5%左右。如果中国经济增长低于预期,则实现年份有可能提前。但是大多数人认为中国经济还需要快速增长一段时间,很大程度取决于经济发展前景。” 滕飞补充道。

Monday, August 13, 2018

ग्राउंड रिपोर्ट: बरेली के इस गांव से क्यों पलायन कर गए मुसलमान?

बरेली शहर से क़रीब तीस किलोमीटर दूर आंवला क़स्बे के पास खैलम गांव के ज़्यादातर मुस्लिम परिवार पिछले दो हफ़्ते से अजीब सी दहशत में हैं. इनके गांव से निकलने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान किसी तरह का विवाद न हो, इसलिए पुलिस ने इन्हें चेतावनी दे रखी थी और सैकड़ों लोगों को रेड कार्ड जारी किए गए थे.
हालांकि ये रेड कार्ड ऐसे सभी संदिग्धों को जारी किए गए थे जिनसे पुलिस और प्रशासन को माहौल बिगाड़ने की आशंका थी लेकिन इसके डर से पलायन करने वाले परिवारों में मुसलमान ज़्यादा हैं.
गांव में ज़्यादातर मुस्लिम परिवारों के घरों पर पिछले कई दिनों से ताले लटक रहे हैं और जिनके घरों पर ताले नहीं भी हैं, वहां केवल कुछेक महिलाएं ही हैं, बाकी लोग कहीं दूर अपने रिश्तेदारों के घर चले गए हैं.
दरअसल, पिछले साल कांवड़ यात्रा के दौरान शिवरात्रि के दिन इस गांव में दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी. उसी को देखते हुए इस साल प्रशासन पहले से ही सचेत हो गया और लोगों को चेतावनी जारी कर दी गई.बरेली के पुलिस अधीक्षक ग्रामीण डॉक्टर सतीश कुमार बताते हैं, "पिछले साल कांवड़ यात्रा के दौरान दोनों पक्षों में हिंसक झड़पें हुई थीं. दोनों समुदायों के कई लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई गई थी. इस बार भी वैसी कोई घटना न घटने पाए इसलिए लोगों को रेड कार्ड जारी किए गए थे. हालांकि हमारे संज्ञान में ये बात नहीं आई कि लोग इस वजह से घर छोड़कर गए हैं."
सतीश कुमार का कहना है कि बाक़ायदा ये संदेश गांव वालों को दे दिया गया था कि किसी को डरने की ज़रूरत नहीं है, उन्हें पूरी सुरक्षा दी जाएगी. लेकिन गांव वालों का कहना है कि लोगों को डर था कि कहीं कोई विवाद होने पर उनका नाम न आ जाए, इसलिए वो ख़ुद ही चले गए.
खैलम गांव की ही रहने वाली समीना के चार बेटे और एक बेटी हैं. वो बताती हैं, "हमारा एक बेटा फ़ौज में है, वो बाहर रहता है ड्यूटी पर. बाकी सभी बेटे और बहुएं अपने बच्चों को लेकर गांव से बाहर रिश्तेदारी में चले गए. पुलिस वालों ने ऐसा डरा दिया कि पता नहीं किसके ख़िलाफ़ केस बना दें. ऐसे में भलाई इसी में समझी गई कि जब तक कांवड़िए न चले जाएं, गांव से बाहर ही रहो."
समीना बताती हैं कि घर में एक भैंस पली है, उसे चारा-पानी देने की वजह से वो कहीं नहीं गईं. वहीं गांव की अन्य महिलाओं का भी कहना था कि ज़्यादातर घरों में सिर्फ़ घर की रखवाली या फिर पशुओं की देख-रेख के लिए बुज़ुर्ग महिलाएं ही थीं, बाकी लड़के-लड़कियां और पुरुष गांव से बाहर चले गए थे.
समीना जैसी कहानी खैलम गांव के तमाम मुस्लिम परिवारों की है. क़रीब चार हज़ार की आबादी वाले इस गांव साठ प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है. बताया गया कि कुछ हिन्दू परिवारों के लोग भी घरों पर ताला लगाकर गए हैं लेकिन हिन्दू आबादी में ऐसा कोई नहीं मिला.
गांव के ही आज़म हमें उन घरों को दिखाते हैं जहां शुक्रवार को भी ताले लटक रहे थे. हालांकि मुख्य कांवड़ यात्रा गुरुवार को ही थी और लोग पास के एक मशहूर शिव मंदिर में शिवरात्रि के दिन जल चढ़ाने जाते हैं. गुरुवार को भारी मात्रा में पुलिस और पीएसी के जवान यात्रा मार्ग पर तैनात किए गए थे. एसपी ग्रामीण सतीश कुमार कहते हैं कि इतनी सतर्कता की वजह से ही यात्रा सकुशल और शांतिपूर्ण रही और लोगों ने भी साथ दिया.
मुख्य सड़क से गांव के भीतर दाख़िल होने पर गांव का मुख्य बाज़़ार पड़ता है. बाज़ार में दोपहर का वक़्त होने के नाते सन्नाटा छाया था लेकिन स्थानीय लोगों के मुताबिक बाज़ार पिछले एक हफ़्ते से बंद है. तमाम दुकानों पर अभी भी ताले लगे हुए हैं.
एक मेडिकल स्टोर चलाने वाले अजमत ने बीबीसी को बताया कि उन्होंने शुक्रवार को नौ दिन बाद अपनी दुकान खोली है. उनका कहना था, "पिछले साल मेरी दुकान में तोड़-फ़ोड़ करके काफ़ी नुक़सान पहुंचाया गया था, इसलिए मैंने कांवड़ यात्रा से पहले ही दुकान बंद कर दी और यहां से बाहर चला गया."
मुस्लिम समाज के लोगों की मानें तो गांव के लगभग 150 परिवार पुलिस की कार्रवाई की खौफ से घरों में ताला डालकर चले गए हैं. उनका कहना है कि उन्हें डर है कि अगर कावंड़ यात्रा में कोई हंगामा या बवाल होता है तो निर्दोष लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी. अगर वे गांव में नहीं रहेंगे तो फिर उनका नाम नहीं आएगा.
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन के साथ-साथ उन्हें कुछ कांवड़ियों का भी डर था, जिसकी वजह से कई लोग गांव छोड़कर चले गए. हालांकि शुक्रवार से लोगों का लौटना भी शुरू हो गया और कई लोग लौटते हुए दिखे भी.
वहीं गांव के दूसरे छोर पर मंदिर के पास कांवड़ लेकर जल चढ़ा चुके कुछ लोगों का कहना था कि पिछले साल मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ही उन पर पत्थर फेंके थे, इसीलिए दोनों पक्षों में विवाद हुआ था.
दरअसल गांव के कांवड़िए गंगाजल लेकर जिस गौरीशंकर गुलरिया मंदिर में चढ़ाने जाते हैं, उसकी दूरी यहां से क़रीब पांच किलोमीटर है और वहां जाने के दो रास्ते हैं. एक रास्ता गांव के बाहर की ओर से जाता है और एक गांव के भीतर से होकर.
पिछले साल से पहले तक बाहर वाले रास्ते से ही कांवड़ यात्रा निकलती थी लेकिन पिछले साल पहली बार इस रास्ते से कांवड़िए गए और माहौल ख़राब हुआ.
माहौल ख़राब करने के लिए हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं लेकिन पुलिस का कहना है कि ग़लती दोनों समुदाय के लोगों की थी, इसीलिए पिछले साल दोनों समुदाय के लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई और कई लोगों को ज़िला बदर भी किया गया है.
यहां दिलचस्प बात ये है कि हिन्दू और मुस्लिम सदियों से साथ रहते आए हैं और गांव वालों की मानें तो दोनों के बीच कभी ऐसा विवाद नहीं हुआ. गांव के बीरेंद्र कुमार कहते हैं, "साल भर सब मेल-जोल से रहते हैं, सावन में ही पिछले साल ऐसा हो गया. सावन के बाद फिर माहौल ठीक हो गया था लेकिन इस बार भी सावन के महीने में माहौल ख़राब होने की आशंका थी. पुलिसवालों ने ठीक ही किया कि चेतावनी दे दी थी. नहीं तो गेहूं के साथ घुन भी पिसता."
गांव में फ़िलहाल शांति है लेकिन, एहतियात के तौर पर पुलिस और पीएसी के कुछ जवान अभी भी तैनात किए गए हैं. एसपी ग्रामीण के मुताबिक जो रेड कार्ड और मुचलका लोगों से भरवाए गए थे वो एक वैधानिक कार्रवाई होती है और एक निश्चित अवधि के बाद उसका महत्व ख़़ुद ही ख़त्म हो जाता है.
कांवड़ यात्रा को लेकर इस साल भी कई तरह के विवाद सामने आ रहे हैं और पहले भी आते रहे हैं. रास्तों के जाम होने और ट्रैफ़िक समस्या तो सामने आती ही है कई जगह कांवड़ियों की स्थानीय लोगों से झड़पें भी होती हैं.
गत सात अगस्त को बुलंदशहर में पुलिस की जीप को नुकसान पहुंचाते कांवड़ियों का वीडियो वायरल हुआ था तो वहीं, मेरठ में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कांवड़ियों पर फूल बरसाना भी काफ़ी चर्चा में रहा.

Sunday, July 8, 2018

नज़रियाः केजरीवाल के सामने ट्रांसफ़र-पोस्टिंग मामले का पेंच

इस सब की शुरुआत अगस्त  के दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले पर सवाल उठाती नौ रिट याचिकाओं को दाख़िल करने के साथ हुई थी.उस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिकाओं में  एए की व्याख्या को लेकर महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हैं, इसलिए खंडपीठ का कहना था कि पहले संवैधानिक पीठ को संवैधानिक प्रश्नों को संबोधित करना चाहिए और उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट का उचित बेंच व्यक्तिगत अपील पर फ़ैसला कर सकता है.
संवैधानिक पीठ ने खुद को संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या करने तक ही सीमित कर दिया और उसने कहीं भी मतभेद, असहमति या संदेह के ख़ास क्षेत्रों का ज़िक्र नहीं किया.
संवैधानिक खंडपीठ के निर्णयों के आधार पर कोई अनुमान लगाया जाना अभी जल्दबाजी होगी. जिसमें सबसे विवादास्पद मुद्दों में शामिल सेवा क्षेत्र (जिसे अफ़सरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग भी कहा जाता है) और एंटी करप्शन विभाग पर नियंत्रण वापस पाना भी शामिल है.
इस सब की शुरुआत अगस्त  के दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले पर सवाल उठाती नौ रिट याचिकाओं को दाख़िल करने के साथ हुई थी.
उस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिकाओं में  एए की व्याख्या को लेकर महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हैं, इसलिए खंडपीठ का कहना था कि पहले संवैधानिक पीठ को संवैधानिक प्रश्नों को संबोधित करना चाहिए और उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट का उचित बेंच व्यक्तिगत अपील पर फ़ैसला कर सकता है.
संवैधानिक पीठ ने खुद को संवैधानिक प्रावधानों की व्याख्या करने तक ही सीमित कर दिया और उसने कहीं भी मतभेद, असहमति या संदेह के ख़ास क्षेत्रों का ज़िक्र नहीं किया.
संवैधानिक खंडपीठ के निर्णयों के आधार पर कोई अनुमान लगाया जाना अभी जल्दबाजी होगी. जिसमें सबसे विवादास्पद मुद्दों में शामिल सेवा क्षेत्र (जिसे अफ़सरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग भी कहा जाता है) और एंटी करप्शन विभाग पर नियंत्रण वापस पाना भी शामिल है.

Monday, May 21, 2018

как Украина собирается шантажировать МВФ

Украина должна «шантажировать МВФ дефолтом», а также отказаться выполнять требования фонда по проведению непопулярных реформ. Об этом заявил депутат от партии «Народный фронт» Александр Кирш. По его мнению, в результате такой политики организация пойдёт на уступки и выделит дополнительные средства, ведь Киев — главный буфер между Западом и Россией. Эксперты отмечают, что у команды Порошенко действительно есть шанс на получение нового транша. Вот только сумма может оказаться символической — как и вера кредиторов в готовность Украины платить по счетам, подчёркивают политологи.

Однако депутаты Рады предложили свой выход из положения. В интервью украинскому порталу «Обозреватель» депутат от партии «Народный фронт» Александр Кирш заявил, что Украина может воспользоваться опытом Греции и выдвинуть МВФ свои условия кредитования. Народный избранник уверен, что фонд должен испугаться возможного дефолта Украины, поскольку страна служит барьером, «отделяющим Запад от России». В первую очередь Кирш предложил отказаться от повышения цен на газ для населения — одного из ключевых требований МВФ.
Текущая программа сотрудничества между Украиной и фондом действует до конца года. В её рамках стране планировалось выделить $17,5 млрд. Но Украина смогла получить только половину этой суммы, разделённую на четыре транша. В марте 2015 года фонд выделил Киеву $5 млрд, в августе 2015-го — $1,7 млрд. В 2016 и 2017 годах Украина получила два перевода по $1 млрд каждый.
МВФ выдвигает к стране серьёзные требования, но их выполнение не даёт никаких видимых результатов, говорит источник RT в партии «Народный фронт».
«Чтобы получить всего $2 млрд, нам надо не только создавать независимый антикоррупционный суд и тем самым поставить под угрозу безопасность чиновников и политиков, но и перед выборами повышать тарифы для населения», — заявил он.
Собеседник RT добавляет, что в последние несколько лет Киеву удавалось избегать выполнения требований фонда. По его словам, достоверность данных, которые чиновники, судьи и правоохранители указывают в электронных декларациях с сентября 2016 года, никто не проверяет.
Источник RT в партии «Самопомощь» подчёркивает, что фонд уже несколько раз шёл на уступки